North Indian music theory - उत्तर भारतीय संगीत - भाग - 2

North Indian music theory - उत्तर भारतीय संगीत - भाग - 2 

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संगीत के इतिहास को 4 विभागों में बांटा जा सकता है। 
1 अति प्राचीन काल (वैदिक काल) 2000 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक। 
2 प्राचीन काल (वैदिक काल समाप्त होने के बाद) 1000 ईसा पूर्व से सन 800 ईo तक। 
3 मध्य काल (मुस्लिम - काल) 800 ईo से 1800 ईo तक। 
4 आधुनिक काल - 1900 ईo से वर्तमान तक।

2 - यवन काल 

647 ईo से 1290 ईo तक हर्ष वर्धन का राज्य था। उसके उपरान्त सम्पूर्ण राज्य छोटे छोटे राज्यों में बंट चुका था। इस समय के द्वारान हर राज्य में आपस में युद्ध हुआ करता था। युद्ध प्रिय होने के कारण संगीत का कोई भी महत्व नहीं रहा। अतः संगीत कई वर्गों में विभक्त हो गया। यही कारण है की संगीत के कई घराने बन गए। और संगीत का स्वरुप अपने सही स्वरुप से भिन्न हो गया हर कलाकार एक दुसरे को नीचा दिखाने में लगे रहते। अतः शास्त्रीय संगीत जनता से अलग सा हो गया और सामंतशाही होने के कारण अपने नैतिकता के पवित्र स्तर से गिरता गया। 
फिर भी संगीत राजपूताना राज्यों में अपना अधिपत्य जमाये रखा। उनके दरबारों में संगीत का विशेष महत्व दिया जाता रहा और संगीतज्ञो का सम्मान बरकरार रखा। इनके राज्य में श्रृंगार सहित संगीत का आयोजन के साथ अग्नि प्रवेश की प्रथा प्रचलित थी। विजया दशमी में भव्य आयोजन किया जाता था। 
भारत में यवनों के आक्रमण से आध्यात्मिक विकास अवरुद्ध सा हो गया। लोग संगीत से भोग विलास में लिप्त होने लगे। लोगों में धर्म परिवर्तन होने लगे हिन्दू मुसलमान होने लगे थे। अतः जो लोग धर्म परिवर्तन कर लिए वे यवन संगीत की प्रशंसा करने लगे इस तरह भारतीय संगीत खतरे में पड़ने लगा। और भारतीय संगीत को समूल नस्ट करने का प्रयत्न जारी रहा। 

खिलजी युग :

अलाउद्दीन खिलजी सन 1296 में शाशन पर बैठे जिनका राज्य 1290 से 1320 तक रहा। ये सुलतान स्वयं संगीत प्रेमी थे फलस्वरूप इनके राज्य में अमीर खुसरो नामक महान संगीतज्ञ हुए। और इनको नई ताल और राग रचने का प्रोत्साहन मिला। 

अमीर खुसरो 

मुस्लिम शासित प्रदेश होने के कारण भारतीय शास्त्रीय संगीत - संगीत शास्त्रियों से शून्य हो चुका था। इनका जन्म 1554 ईo में हुआ था। जलालउद्दीन  अथवा अलाउद्दीन के राज्य काल में हिन्दू गायक में खुसरो उस भ्रष्ट पद्धति का परिचय दिया इसलिए इसी परिचय को भारतीय संगीत का ज्ञान कहा जा सकता है। 
खुसरो कूटनीति दरबारी व्यक्ति था। इसके साथ साथ योग्य एवं प्रतिभाशाली राजशक्ति व्यक्ति भी था। खुसरो उच्चकोटि का कवि भी था। लेकिन इनकी छवि किवल राज्य दरबार में दब कर रह गयी।इसने जलालउद्दीन खिलजी के हत्यारे अलाउद्दीन खिलजी के प्रति कोई घ्रणा नहीं जताई जबकि  जलालउद्दीन ने खुसरो को बहुत सम्मान दिया करता था। और अलाउद्दीन खिलजी के प्रति प्रजा में भक्ति उत्पन्न करने में सहायक बना। इसने गा - बजाकर प्रजा को आकर्षित करने में सफल रहा। भारतीय संगीत में इस पक्ष को याद रखना अति आवश्यक है। 
कहा जाता है अमीर खुसरो अपने समकालीन गायक गोपाल नायक को हराया था।गोपाल नायक के रचित रागों को स्वयं का बताकर खुसरो की प्रतिभा में कूटनीति और हठ वादिता के प्रमाण मिलते है। 
इस काल में मुसलमानों ने शास्त्रीय पक्ष की अवहेलना किया और उसके क्रियात्मक रूप को ही ध्यान में रखा फलस्वरूप गीतों का ढंग कव्वाली और तराने में प्रचलित हो गए। 

तुगलक युग :

इनका राज्य 1320 ईo 1324 ईo तक रहा। गयासुद्दीन तुगलक संगीत के प्रति उदासीन रहे। इनके पुत्र मुहम्मद तुगलक स्वयं संगीत प्रेमी थे इन्होने मुसलमान और हिन्दू को एकत्रित करके संगीत के विकास में विशेष योगदान दिया। इनके काल 1325 ईo से 1351 ईo तक संगीत पर विशेष बल था फिर भी संगीत को राजाश्रय ना मिल सका। 

लोदी काल :

इस काल में 1414  से  1525 ईo तक मुसलमान भारतीय संगीत को अरब संगीत का रूप देने पर बल देते रहे परन्तु हिन्दुओं को यह आभास था की भारतीय संगीत की स्थिति बिगड़ ना जाये।इसी समय सिकंदर लोदी को संगीत का कुछ भी ज्ञान नहीं था फिर भी वे संगीतज्ञों का सम्मान करते थे। सिकंदर के काल में कव्वाली,ग़ज़ल,ख्याल,ठुमरी,आदि खूब प्रचार में आ गए। 
इसके बाद 1486 ईo से  1525 ईo तक  ग्वालियर के राजा मानसिंग तोमर ने ध्रुपद शैली को जन्म दिया। जिसकी वजह से ध्रुपद शैली की प्रधानता रही। 

मुग़ल काल :

इस काल में बाबर,हुमायूं,अकबर,जहाँगीर,शाहजहाँ,औरंगजेब,और बहादुर शाह,जैसे 1425 ईo से 1740 ईo तक बादशाह हुए है। जिनके काल में संगीत में विशेष परिवर्तन हुए हैं। अतः इसका उल्लेख अलग अध्याय में करेंगे।
North indian music theory - उत्तर भारतीय संगीत - भाग - 1
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North Indian music theory - North Indian music - Part - 2

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The history of music can be divided into 4 departments.

1 Very ancient period (Vedic period) from 2000 BCE to 1000 BCE.

2 Ancient period (after the end of Vedic period) from 1000 BCE to 800 CE.

3 Middle period (Muslim period) from 800 AD to 1800 AD.

4 Modern period - 1900 AD to present.

2 - Yavana period

From 647 AD to 1290 AD, there was the kingdom of Harsh Vardhan. After that, the entire state was divided into smaller states. During this time, there was war among each state. Because of being a war lover, music was of no importance. Hence music was divided into several classes. This is the reason that many musical houses have become. And the form of music became different from its true form, every artist would continue to degrade each other. Therefore, classical music fell apart from the masses and fell from its sacred level of morality due to being feudalistic.

Nevertheless, music kept its suzerainty in the Rajputana states. Music was given special importance in their courts and retained the respect of the musicians. In his state, the practice of fire entry along with organizing music including makeup was prevalent. A grand event was held at Vijaya Dashami.

Spiritual development was blocked due to the invasion of forests in India. People started indulging in the luxury of music. People started converting among the Hindus as Muslims. Therefore, people who converted to religion started praising Yavana music, thus Indian music started to be in danger. And the effort to complete Indian music continued.

Khilji era:

Alauddin Khilji sat on Shashan in 1296, whose kingdom remained from 1290 to 1320. These sultans themselves were music lovers and as a result there was a great musician named Amir Khusro in his kingdom. And they were encouraged to create new rhythms and melody.

Amir Khusro:

Being a Muslim-ruled state, Indian classical music had become void of music and scribes. He was born in 1554 AD. During the reign of Jalaluddin or Alauddin, Khusrau introduced that corrupt method in Hindu singers, hence this introduction can be called knowledge of Indian music.
Khusro was a courtier in diplomacy. Along with this, there was a qualified and talented Rajshakti man. Khusro was also a poet of high order. But his image remained submerged in the Kivala state court. It did not show any hatred towards Alauddin Khilji, the killer of Jalaluddin Khilji, while Jalaluddin respected Khusro very much. And Alauddin became instrumental in generating devotion towards the Khilji. It succeeded in attracting subjects by singing. It is very important to remember this aspect in Indian music.
Amir Khusro is said to have defeated his contemporary singer Gopal Nayak. The ragas composed by Gopal Nayak itself are evidence of diplomacy and persistence in Khusrau's talent.
During this period, the Muslims disregarded the classical aspect and kept its functional form in mind. As a result, the manner of songs became prevalent in Qawwali and Tarana.

Tughlaq era:

His kingdom remained till 1320 AD to 1324 AD. Ghyasuddin Tughlaq remained indifferent to music. His son Muhammad Tughlaq was a music lover himself and he made a special contribution in the development of music by gathering Muslims and Hindus. He had a special emphasis on music from 1325 AD to 1351 AD, yet music could not get Rajashraya.

Lodi period:

During this period, from 1414 to 1525, Muslims continued to insist on making Indian music as Arab music, but Hindus felt that the condition of Indian music should not deteriorate. At this time Alexander Lodi had no knowledge of music. He respected musicians. Qawwali, Ghazals, Khyal, Thumri, etc. came under much publicity during Alexander's time.
After this, from 1486 AD to 1525 AD, King Mansing Tomar of Gwalior gave birth to Dhrupada style. Due to which the Dhrupad style was predominant.

Mughal period :

Babur, Humayun, Akbar, Jahangir, Shah Jahan, Aurangzeb, and Bahadur Shah, during this period, have been kings from 1425 AD to 1740 AD. There have been special changes in music during his time. Therefore, we will mention it in a separate chapter.

North indian music theory - उत्तर भारतीय संगीत - भाग - 1












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