hindustani classical music theory-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत

Hindustani classical music theory-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत



hindustani classical music theory,हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत,indian music history-भारतीय संगीत का इतिहास - In Hindi-English
hindustani classical music theory-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत

Indian music - Origin -भारतीय संगीत की उत्पत्ति 

इस कला की उत्पत्ति कब हुई और कैसे हुई यह बहुत ही गहन विचारणीय प्रश्न है फिर भी अनेक विद्वानों के अनुषार विभिन्य पुस्तकों में इसका उल्लेख किया गया है उनमें से कुछ इस प्रकार है।

1 :- विद्वानों के अनुषार संगीत की उत्पत्ति ब्रम्हा द्वारा की गयी जो वेदों के रचाईता हैं। तत्पश्चात यह कला शिव जी को दी और शिव जी ने सरस्वती जी को प्रदान किया . माता सरस्वती को " वीणा-पुस्तक-धारिणी " अर्थात साहित्य की देवी कहा गया है जो की आज हिन्दुस्तानी संगीत के विद्यार्थी सरस्वती माँ को संगीत की देवी मानते हैं। अतः संगीत की देवी के द्वारा संगीत कला को नारद जी द्वारा गन्धर्व,किन्नर,और स्वर्ग की अप्सराओं को शिक्षा प्राप्त हुई और वहां से ही भरत मुनि,नारद मुनि,एवं हनुमान,जैसे ऋषियों द्वारा संगीत में पारंगत होकर संगीत की कला का प्रचार और प्रसार समस्त भूखंड में (पृथ्वी लोक) किया गया .इस लेख के अलावा एक और उल्लेख कुछ ग्रंथों में मिलता है।

2 :- कहा गया है की नारद जी ने अनेक वर्षों तक घोर योग साधना की तत्पश्चात नारद जी की साधना से प्रशन्न होकर शिव जी ने उन्हें संगीत कला की शिक्षा प्रदान की.और कहा जाता है की जब पार्वती जी शयन मुद्रा में थीं तब शिव जी उन्हें देखकर अर्थात उनके अंग-प्रत्यंगों को देखकर एक रूद्र वीणा का निर्माण किया था। और अपने पंचमुखों द्वारा पांच रागों की उत्पत्ति की.उसके पश्चात छठा राग माता पार्वती जी के मुख द्वारा उत्पन्न हुआ.क्रमशः वो राग इस प्रकार हैं।

1 - भैरव
2 - हिंडोल
3 - मेघ
4 - दीपक
5 - श्री राग
कहा जाता है की शिव जी आकाशोंन्मुख के कारण पांचवा राग और शेष चतुर्दिश अर्थात पूर्व -पश्चिम - उत्तर - दक्षिण मुख होने से उत्पन्न हुए.और माता पार्वती जी के मुख द्वारा " कौशिक " राग की उत्पत्ति हुई .एक समय शिव जी ने जगत जननी माता गौरी जी को स्वर्ण सिंघासन पर बैठाकर प्रदोष के समय उनसे नृत्य करने की इच्छा प्रकट किये थे। ये  स्त्रोत्र " शिवप्रदोष " में लिखा गया है। इस शुभ अवसर पर सारे स्वर्ग के देवता उन्हें घेरकर खड़े होकर " स्तुति गान " करने लगे. और साथ ही सरस्वती जी द्वारा " वीणा "इंद्रदेव,ब्रम्हा जी द्वारा करताल,विष्णु भगवान् जी द्वारा " मृदंग "बजाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी और लक्ष्मी जी गाने लगीं।अतः इस संगीत के उत्सव को देखने के लिए स्वर्ग के सभी देवता और गन्धर्व,यक्ष,पतग,उरग,सिद्ध,साध्य,विद्याधर,एवं अप्सराएं सभी संगीतोत्सव में उपस्थित हुए।

3 :- सन  1625 ईo में पंडित दामोदर जी के मत अनुषार संगीत की उत्पत्ति ब्रम्हा जी से ही हुई जिन्होंने अपने लेख " संगीत दर्पण " में दर्शाया है पंडित जी ने इस संगीत को " मार्गी " संगीत कहा।

कुछ समय बाद ये भी कहा गया की संगीत के सात स्वरों सा, रे, गा, मा, प, ध, नि, की उत्पत्ति पशु पक्षियों द्वारा हुई.जो इस प्रकार है।

स्वर  उत्पत्ति 
षडज मोर 
ऋषभ चातक 
गंधार  बकरा 
मध्यम  कौआ 
पंचम   कोयल  
धैवत   मेढक  
निषाद   हाथी  

4 :- अलग अलग मतों के अनुषार फ़ारसी के एक विद्वान् ने कहा हज़रत मूसा पहाड़ों में गए हुए थे वहां आकाशवाणी हुई कि " या मूसा हक़ीक़ी,तू अपना असा इस पत्थर पर मार !" (असा - यह फकीरों का डंडा होता है) यह सुनकर हज़रत मूसा ने डंडा मारा तो डंडे के सात टुकड़े हो गए और हर एक टुकड़े से जलधारा निकल पडी जिसकी कल-कलाहट से सात स्वरों की रचना की।

5 :- दूसरे फ़ारसी विद्वान् ने कहा की जंगल में " मूसाकार " पक्षी होता है जिसके चोंच की सात सुराखों से सात स्वरों की आवाज निकलती है।

6 :- डॉ.फ्रायड के मत अनुषार संगीत शिशु मानोविज्ञान से हुई जिस प्रकार बच्चा ख़ुद हँसना,रोना,चलना,अतः,अन्य क्रियाएं सीखता है उसी प्रकार मनुष्य का मनोविज्ञान संगीत का सार्थक उदाहरण है।

7 :- जेम्स के अनुयाइयों के मत अनुसार मनुष्य स्वयं सीखा जैसे जैसे वह आगे बढ़ता गया हँसना,बोलना,और,संगीत,का भी उसके मन में उद्धरण हुआ।

अब यह कहना बहुत कठिन हो गया है की किस मत को सही माना जाय .
संगीत के कुल चार मुख्य मत माने जाते हैं 
  1. सोमेश्वर - मत 
  2. कल्लिनाथ - मत 
  3. भरत - मत 
  4. हनुमन्मत  
मेरे दूसरे ब्लॉग को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Hindustani classical music theory-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत

hindustani classical music theory-हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सिद्धांत,indian music history-भारतीय संगीत का इतिहास - In Hindi-English
indian music history-भारतीय संगीत का इतिहास - In Hindi-English 
When this art originated and how it happened is a very deep questioning question, yet it has been mentioned in various books following various scholarly works.

1 :-  The scholarly Music of scholars was originated by Brahma, who is the creator of Vedas. Thereafter, this art was given to Shiva and Shiv ji gave it to Saraswati ji. Mata Saraswati has been called the "Veena-Book-Dharini", that is, the goddess of literature, who today believes that Saraswati, a student of Hindustani music, considers Mother Goddess of music. Therefore, through the Goddess of Music, the musical art was taught by Narada ji to Gandharva, Kinnar, and the nymphs of heaven. And from there, sages like Bharata Muni, Narada Muni, and Hanuman, having mastered music, propagated and propagated the art of Music  in all the plots (Prithvi Loka). Apart from this article another mention is found in some texts.

2 : - It is said that Narada ji practiced intense yoga for many years and after that he was encouraged by the practice of Narada ji and taught him the art of Music . And it is said that when Parvati ji was in sleeping posture, Shiva After seeing him, that is, by looking at his limbs, he created a Rudra Veena and created five ragas by his Panchamukhas. After that the sixth raga was the face of Mother Parvati. Generated by Huakkramsः she chord thus

1 - Bhairav

2 - Hindol

3 - megh

4 - Deepak

5 - Shree Raga

It is the Shiva fifth chord and balances due Akashonnmuk Cturdis said that East West - North - South face being generated Hua.awr Mother Parvati is the origin of "Kaushik" melody by Home One time Shiva World Mother mother Gauri G at dusk sit on the golden throne had expressed his desire to him to dance is written in Strotr "Shivpradosh". On this auspicious occasion, the gods of the whole heaven surrounded them and started to sing "Praise". And at the same time the process of playing "Veena" Indradev by Saraswati, Kartal by Brahma Ji, "Mridang" by Vishnu Bhagwan started and Laxmi ji started singing. So all the Gods of heaven and Gandharva to see this music festival. , Yaksha, Patag, Urag, Siddha, Sadhya, Vidyadhar, and Apsaras all attended the music festival.

3 :- San in 1625 AD, the music of Pandit Damodar ji's opinion, originated from Bramha ji who has shown in his article "Sangeet Darpan" that Pandit ji called this music as "Margie" music. .

After some time it was also said that the seven vowels of Music  sa , re, ga, ma, pa, dha, ni, were originated by animal birds.

Swar   Origin 
shhatz Peacock
rhishabh Plate
gandhaar a male goat
madhyam  Crow
pancham   Cuckoo
dhaivat  Frog 
nishad  elephant  

4 :- According to different opinions, a Persian scholar said that Hazrat Musa had gone to the mountains and there was a voice in the sky that "Ya Musa Haqeeqi, you kill your stone like this!" (Asa - this is a stick of fakirs) Hearing this, when Hazrat Musa struck a stick, seven pieces of poles were cut and every piece of water came out, which created seven vowels from the ruckus.

5 :- Another Persian scholar said that in the forest there is a "Musakar" bird whose seven beaks sound out of the seven holes of the beak.

6 :- Dr. Fried's opinion is that music is learned from infant psychology, just as a child learns to laugh, cry, walk, so, other actions, in the same way, psychology of man is a meaningful example of music.

7 :- According to the followers of James, man himself learned as he proceeded, laughing, speaking, and music was also quoted in his mind.

Now it has become very difficult to say which opinion is considered right.
There are four main musical opinions.
  1. Someshwar - vote
  2. Kallinath - votes
  3. Bharata - vote
  4. Hanuman - vote
Already Read Bellow Link My Blogs

Post a Comment

0 Comments

satta king chart